जाड़े की आहट , आने लगी है । फिजां में मोहब्बत, छाने लगी है। जाड़े की आहट , आने लगी है । फिजां में मोहब्बत, छाने लगी है।
इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और अपने अंतरमन के विचा... इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और...
निस दिन नैना राह निहारें, दिन अश्रु से बहते जाऐं मन की हिलोरें तुम्हें पुकारें घड़ी-घड़ी ये उठती जाऐं निस दिन नैना राह निहारें, दिन अश्रु से बहते जाऐं मन की हिलोरें तुम्हें पुकारें घ...
सबको भुलाकर खुद से कर लो अपनी पहचान मिल जाएगा हर ग़म का तुम्हें असली समाधान सबको भुलाकर खुद से कर लो अपनी पहचान मिल जाएगा हर ग़म का तुम्हें असली समाधान
विभावरी में खिली कोंपल देख आसमान को, मुस्कुरा रही थी; विभावरी में खिली कोंपल देख आसमान को, मुस्कुरा रही थी;
जाने कितनी बार गौरी को मनाया था मुझे हठी बालक की तरह परे कर बैठी जाने कितनी बार गौरी को मनाया था मुझे हठी बालक की तरह परे कर बैठी